My poems, my thoughts, social issues ....
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रंजिस खत्म तो कि, दरमिया फासले अभी काफी है
खामोश है मौजे मगर, तूफ़ान के निशा अभी बाकी है!
पैमाने कि चाहत किसको, उसकी आँखे ही काफी है
नज़रे मिले मुद्दतो बीते, पर आज भी नशा बाकी है!
मरासिमो का क्या, यूँ कहने को अभी मजमा काफी है
तनहाई से डरता हूँ, बस तेरी याद का जाना बाकी है!
तेरी बज़्म से उठा था, तेरा कुछ ना कहना ही काफी है
ज़िन्दगी छोड़ दी मैंने, अब कब्रेखाक होना ही बाकी है!
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