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गर उसे . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
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मेरे आंसुओ से मिलती है ठंडक, गर तेरे कलेजे को
तो ये दुआ है रब से, मुझे आंसुओ का समुन्दर दे दे!

रंग खिलता है मुस्कुराते लबों का, गर मेरे ही लहू से
या खुदा यूँ कर, कतरा-कतरा मेरी रगों को खोल दे!

कतल करना और खुश होना, गर फितरत है उसकी
मेरे अल्लाह … ! सौ ज़िन्दगी और मेरे नाम कर दे!

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