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कौन जाने कैसे है वो . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
My poems, my thoughts, social issues ....
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कौन जाने कैसे है वो
मेरे ख्वाबों की ज़न्नत है वो
कोई लरजती हुई कलि है वो
या- मासूम खिलखिलाती हंसी है वो
मालूम नहीं कैसी है वो

कौन जाने कैसे है वो
गुलों पर बिखरी शबनम सी
कोई शरमाई हुई शाम सी
या- जाड़ों की गुनगुनी धूप है वो
मालूम नहीं कैसी है वो

कौन जाने कैसे है वो
अल्लहड़ नदी की जवानी सी
कोई बहकी हुई बहार सी
या- किसी मंदिर का दिया है वो
मालूम नहीं कैसी है वो

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