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अशरार, ये सवाल पूछते है . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
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वो बेसबब अपनी उदासी का हाल पूछते है,
मेरे ही अशरार मुझसे ये सवाल पूछते है !

मैखानो से हरम तक, क्या कुछ नहीं है यहाँ ?
फिर क्यों उदास है गज़लें, ये सवाल पूछते है ?

रोऊ या मुस्कुराऊ, हर हाल हूँ दास्ताने-जफां
क्यों मुझ पर है इल्जाम, ये सवाल पूछते है ?

मुन्नी की बदनामी, कभी शीला की जवानी
क्यों रुसवा हुए बार-बार, ये सवाल पूछते है ?

ग़ालिब के दीवान से, “परु” की डायरी तक
क्या हो गया है मेरा हाल, ये सवाल पूछते है ?

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