My poems, my thoughts, social issues ....
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तेरे एक झूट पर
तामीर की ख़्वाबों की जन्नत मैंने
और मेरे सच पर
पागल कह के संगसार किया तुने!
पराया था वो सनम
जान समझ कर जिसे चाहा था मैंने
था मोहब्बत का भरम
जो शब्दों में सजा कर दिया था तुने!
वो ख्वाब था तेरे
अपनी पलकों में जिसे सजाया था मैंने
दिल भी तुम्हारा था
मेरे समझ कर जिसे अभी तोडा है तुने!
दर्द भरी कहानी थी
खामोश रात में जिसे दफनाया है मैंने
ग़ज़ल नहीं जख्म है
भरी महफ़िल में जिसे सुनाया है तुने!
कविता बनाकर तुझे
बदले जफ़ाओं के हँसी सौगात दी मैंने
तनहाई का सिलसिला
ये मेरी वफाओं का इनाम दिया है तुने!
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