Menu
blogid : 4315 postid : 89

तेरे एक झूट पर . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
My poems, my thoughts, social issues ....
  • 47 Posts
  • 114 Comments

तेरे एक झूट पर
तामीर की ख़्वाबों की जन्नत मैंने
और मेरे सच पर
पागल कह के संगसार किया तुने!

पराया था वो सनम
जान समझ कर जिसे चाहा था मैंने
था मोहब्बत का भरम
जो शब्दों में सजा कर दिया था तुने!

वो ख्वाब था तेरे
अपनी पलकों में जिसे सजाया था मैंने
दिल भी तुम्हारा था
मेरे समझ कर जिसे अभी तोडा है तुने!

दर्द भरी कहानी थी
खामोश रात में जिसे दफनाया है मैंने
ग़ज़ल नहीं जख्म है
भरी महफ़िल में जिसे सुनाया है तुने!

कविता बनाकर तुझे
बदले जफ़ाओं के हँसी सौगात दी मैंने
तनहाई का सिलसिला
ये मेरी वफाओं का इनाम दिया है तुने!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh