तेरी भीगी पलकें परेशान करती है, रुखसार पर सूखती नम लकीरें बिखरी जुल्फों की उलझी लटें लरजते लबों पर जो सिसकती है, वो खामोश आहें परेशान करती है ! ये उदास आँखें परेशान करती है . . .
तेरी थमती साँसें परेशान करती है, छुपाई डायरी के अनछुए हर्फ़ तकिये के नीचे वो बेनाम ख़त तनहा झरोखों पर एक आलेली, भीगती हुई शाम परेशान करती है ! ये उदास आँखें परेशान करती है . . .
तेरी खामोश जुबान परेशान करती है, ज़ज्बातों से महकी मेरी चाहत और कुछ ख्वहिशें बहकती हुई तमन्नाये दिल की बयान करती, मेरी मासूम खताएं परेशान करती है ! ये उदास आँखें परेशान करती है . . .
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