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यूँ न मुस्कुराओ . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
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हुस्न से लबरेज़ पैरहन
और छलकता जाम सा यौवन,
यूँ न मुस्कुराओ महफ़िल में
की शायरों में हल्ला हो जायेगा!

दिल्लगी शायर मिजाजों से
पर्दानशीनो की अच्छी नहीं,
रौनक बढ जाएगी मैखानो की
खांमखां कोई ग़ालिब हो जाएगा!

शेरों में ज़िक्र न कर सनम का
कुछ तो पैमानों का ख़याल रख,
गर नशा अशरार से हो जाये तो
कौन साकी के दर पर जाएगा!

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