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यू ज़िन्दगी का तजुर्बा हो गया . . .

My poems, my thoughts, social issues ....
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तेरे आमद के इंतजार में
हर पल बरस बन गया
दस्तक तो न हुई दर पे
खैर –
यू लम्हों में सदियाँ जी गया!

तेरी झील सी गहरी आँखों में
मुझे प्यार का मोती मिल गया
ख्वाब साहिल पर डूब गए
खैर –
यू हमने तैरना सीख लिया!

कुछ देर तो तुम साथ चले
फिर हाथो से हाथ छुड़ा लिया
मंजिल तक तो न पहुंचा
खैर –
यू रास्तों का पता मिल गया!

तेरी मुस्कुराहटों के उजाले में
मेरा हर दर्द फ़ना हो गया
आज तेरा साया भी साथ नहीं
खैर –
यू ज़िन्दगी का तजुर्बा हो गया !

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