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आज २६ जनवरी है यानी की हमारा गडतंत्र दिवस! ६१ साल पहले ठीक आज ही के दिन हमने अपने संविधान को अंगीकार किया था! भारतीय संविधान, करोड़ों लोगों का संविधान, करोड़ों सपनो का संविधान, जो आज भी सपना ही बना हुआ है!
आज सुबह ही से मुझे मेरे मोबाइल पर, ऑरकुट पर, फसबूक पर, सभी जगह ढेरों मेसेज आ रहे है! हर कोई गडतंत्र दिवस पर बहुत खुश है और अपने भारतीय होने पर गर्वित है! क्यों न हो भाई, पुरे साल में केवल तीन ही दिन तो होते है हमारे पास गर्व करने के लिए, आज, १५ अगस्त और २ अक्टूबर! बाकी के ३६२ दिन तो हमें अपनी दुनियादारी से ही फुर्सत नहीं मिलती की ये सोच सकें की हम भारतीय है! हाँ अगर हमारी क्रिकेट टीम कोई मैच खेल रही हो तो बात अलग है!
मैं बात कर रहा हूँ भारतीय होने पर गर्व करने की, मुझे भी गर्व है, और मेरे जैसे आप सब को भी होना चाहिए! लेकिन क्यों? सिर्फ इसलिए की हमारे पास भारतीय नागरिकता है? आप को कुछ अजीब लग रहा होगा मेरी बात पर, शायद बहुत से लोग तो मुझे देशद्रोही की संज्ञा भी दे डाले! सही है भाई, आप भारतीय हैं कुछ भी कर सकते हैं!
शायद अब में भटक रहा हूँ , वापस आ जाता हूँ –
मुंबई जो हमारे देश की व्यापारिक राजधानी के नाम से जानी जाती है, एक और बात के लिए प्रसिद्द है! नहीं जनाब में ताज होटल या फिर बोलीवूड की बात नहीं कर रहा, मैं बात कर रहा हूँ यहाँ की झुग्गी झोपडी (स्लम) की जो संभवत दुनियां की सबसे बड़ी स्लम है! एक विदेशी ने इस पर फिल्म बनायीं और कई ओस्कार पुरस्कार जीत लिए, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
भ्रस्टाचार के मामले में हमारा देश विश्व में अग्रणी देशों में से एक है! ज्यादा पीछे नहीं जाते, कॉमन वेल्थ गेम, आदर्श सोसाइटी, और २-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, मि० कलमाड़ी से लेकर सुश्री सोनिया जी तक नामों की लिस्ट बहुत लम्बी है, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
एक बार सुश्री किरण बेदी (जब वो पुलिस आई जी थी) ने मि० गिल पर एक पार्टी में अभद्रता का आरोप लगाया था! जब उनके साथ ये सब हो सकता है तो फिर सीलू जैसे गरीब नाबालिग लड़की का राजनीतिक और दबंग लोगों द्वारा यूज़ (इस शब्द का इस्तेमाल करने के लिए माफ़ी चाहता हूँ) करना आम बात है! ये वही देश है जहा लड़कियों को देवी कहा जाता है और पूरा देश महिला ससक्तिकरण की बात कर रहा है, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
९/११ आप सब को याद होगा ? अमेरिका की सिर्फ २ इमारतें गिरी और उसने हजारों किलोमीटर दूर आ कर पुरे देश को बर्बाद कर दिया! किसी भी देश का पार्लियामेंट उस देश की शान होता है, उसकी इज्ज़त होता है. और हमारी इज्ज़त पर हमला करने वाले अब तक हमारी खिल्ली उड़ाते है, ताज होटल में कई लाशे बिछाने वाला कसाब फांसी के फंदे में झूलने की बजाय वी०आइ० पी० बना हुआ है, उसे सजाये-मौत देना हमारे कानून के लिए टेडी खीर बना हुआ है, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
आइ० पी० एल० में छक्के मरने वालों की कीमत अरबों में, देश के लिए सोना जीतने वाले (जो की अच्छी बात है) को करोडो रुपए देना, और हमरी सीमओं में अपनी जान दे कर देश की सुरक्षा करने वाले जवान को सिर्फ एक मेडल और बमुश्किल २ लाख रुपये दे कर हमेशा के लिए भूला देना, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
पश्चिम से लेकर उत्तर तक अलगाववाद/आतंकवाद देश की आर्थिक कमर तोड़ रहा है, हमारा “ज़न्नत” (कश्मीर) पता नहीं कब “जहन्नुम” हो गया पता नहीं चला! पूरब से लेकर दक्षिण तक कभी बोडो कभी नक्शलवाद देश के टुकड़े करने पर तुला है, “तिरंगा” जाने कब “लाल सलाम” हुआ पता ही नहीं चला! हमारे ही चुने हुए नेता जाती की राजनीति और कुर्सी की बंदरबांट से कभी ऊपर नहीं उठ सके, फिर भी मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है …
लिखने को तो अभी बहुत है खूने-जिगर पर क्या होगा लिखने भर से ???
अगर सिर्फ लिखने से ही समस्याएँ ख़त्म हो जाती ? कूड़ा बीनते बच्चों के हाथो में किताबें आ जाती ? भूख और ठण्ड से मौते न होती ? देश के किसान आत्महत्या न करते ? तो – शायद बहुत पहले ही अख़बारों के सम्पादकीय लेख लिखे जाने बंद हो गए होते ….
खैर – गडतंत्र की ६१ वि वर्षगाँठ पर आप सब को ढेर साड़ी सुभकामनाएँ! जय भारत!
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